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करवा चौथ की पूरी कहानी और इतिहास | Karwa Chauth 2025 Vrat Katha & History in Hindi

🌸 करवा चौथ क्या है?

करवा चौथ (Karwa Chauth 2025) एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है जिसे सुहागिन महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए मनाती हैं। यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है। इस दिन विवाहित महिलाएँ निर्जला व्रत (बिना पानी के उपवास) रखती हैं और चाँद देखने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं।

🌼 करवा चौथ का इतिहास (Karwa Chauth History in Hindi)

करवा चौथ की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इसका उल्लेख पुराणों और लोककथाओं में मिलता है। इस दिन का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है —

पुराने समय में, जब पति-पत्नी महीनों तक युद्ध या व्यापार के कारण दूर रहते थे, तब पत्नियाँ अपने पति की सुरक्षा के लिए यह व्रत रखती थीं। यह सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि भावनात्मक बंधन और नारी शक्ति का प्रतीक है।

💫 करवा चौथ की पौराणिक कथा (Karwa Chauth Vrat Katha)

🕉️ रानी वीरावती की कथा

करवा चौथ व्रत की सबसे प्रसिद्ध कथा रानी वीरावती की मानी जाती है।

एक समय की बात है — वीरावती नाम की एक राजकुमारी थी जो अपने सात भाइयों की इकलौती बहन थी। जब उसकी शादी हो गई, तो पहली बार करवा चौथ का व्रत करने का दिन आया। उसने सच्चे मन से व्रत रखा, लेकिन पूरा दिन भूखी-प्यासी रहने के कारण शाम तक बेहोश हो गई।

अपनी बहन की हालत देखकर भाइयों से रहा नहीं गया। उन्होंने एक पीपल के पेड़ के नीचे आईने से चंद्रमा जैसा प्रकाश दिखाया और कहा, “बहन! चाँद निकल आया है, अब व्रत खोलो।”

वीरावती ने विश्वास कर लिया और व्रत तोड़ दिया। लेकिन जैसे ही उसने भोजन किया, उसके पति की मृत्यु का समाचार आ गया। वह रोती-बिलखती भगवान से प्रार्थना करने लगी। तब देवी पार्वती प्रकट हुईं और बोलीं — “तुमसे व्रत तोड़ने की गलती हुई है, लेकिन अगर तुम अगले साल पूरे विधि-विधान से व्रत रखो, तो तुम्हारा पति पुनः जीवित होगा।”

अगले वर्ष वीरावती ने सच्चे मन से करवा चौथ का व्रत किया, और उसका पति फिर जीवित हो गया। तब से यह व्रत सौभाग्य और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है।


💖 एक और कथा: सावित्री और सत्यवान की कहानी

एक अन्य प्रसिद्ध कथा सावित्री-सत्यवान की है। कहा जाता है कि सावित्री ने अपने पति सत्यवान की मृत्यु के बाद यमराज से अपने पति का प्राण वापस पाने के लिए तपस्या की थी। उसकी सच्ची श्रद्धा और दृढ़ निश्चय से यमराज ने सत्यवान को जीवनदान दिया।

यह कथा बताती है कि एक सच्ची पत्नी का प्रेम और संकल्प मृत्यु को भी परास्त कर सकता है। यही भावना करवा चौथ के व्रत का आधार है।

🌙 करवा चौथ पूजा विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)

🪔 सुबह की तैयारी

🪷 दिनभर का व्रत

🕯️ शाम की पूजा

🌹 करवा चौथ का महत्व (Significance of Karwa Chauth)

करवा चौथ सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्यार, विश्वास और नारी समर्पण का पर्व है। यह दिन दांपत्य जीवन में पारस्परिक समझ, सम्मान और भावनात्मक जुड़ाव को मजबूत बनाता है।

इस व्रत में महिलाएँ अपने त्याग, श्रद्धा और आस्था का अद्भुत उदाहरण पेश करती हैं। आधुनिक युग में भी, यह पर्व भारतीय संस्कृति की मजबूत जड़ों की याद दिलाता है।

🌼 आधुनिक युग में करवा चौथ

आज के दौर में Karwa Chauth 2025 सिर्फ विवाहित महिलाओं तक सीमित नहीं है। अब कई पुरुष भी अपनी पत्नियों के साथ व्रत रखते हैं, जो समानता और प्रेम का नया प्रतीक है।
सोशल मीडिया पर इस दिन की तस्वीरें, Karwa Chauth Selfies, #KarwaChauthLook, #SargiThali, और #MoonSightingMoments ट्रेंड करते हैं।

बॉलीवुड में भी करवा चौथ की झलक अक्सर दिखाई देती है — जैसे फिल्मों में Dilwale Dulhania Le Jayenge, Baghban, और Kabhi Khushi Kabhie Gham ने इस पर्व को और भी लोकप्रिय बना दिया।

✨ करवा चौथ 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त

इस साल करवा चौथ का व्रत शुक्रवार, 10 अक्टूबर को रखा जाएगा. द्रिक पंचांग के अनुसार, इस बार करवा चौथ पर शाम के समय पूजा का शुभ मुहू्र्त शाम 5 बजकर 56 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 10 मिनट तक रहने वाला है

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💬 निष्कर्ष (Conclusion)

करवा चौथ व्रत नारी की शक्ति, श्रद्धा और प्रेम का सबसे सुंदर प्रतीक है। यह त्योहार न सिर्फ पति-पत्नी के रिश्ते को गहराता है बल्कि परिवार और परंपरा के बंधन को भी सुदृढ़ करता है।

इस दिन का संदेश यही है —

“सच्चे प्रेम, आस्था और समर्पण से हर असंभव को संभव बनाया जा सकता है।”

Karwa Chauth
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