History Behind Ayodhya Ram Mandir And Babari Maszid in Hindi
राम मंदिर का प्राचीन इतिहास:
आयोध्या में RAM MANDIR का इतिहास भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है। RAM MANDIR निर्माण के पीछे की कहानी महाकाव्य रामायण पर आधारित है जिसमें भगवान राम का जन्म, वनवास, और अयोध्या में वापसी की कई कड़ियाँ हैं। यहां, RAM MANDIR के निर्माण के महत्वपूर्ण घटनाओं को बताया गया है:
आयोध्या को वेदों में “कोशल” कहा जाता है और इसे भगवान राम के जन्मस्थान के रूप में जाना जाता है। RAM MANDIR का निर्माण काल समय अनुसार चित्रित किया गया है जो लाखों वर्ष पहले हो सकता है।
रामायण का महत्व:
RAM MANDIR का इतिहास मुख्य रूप से वाल्मीकि रामायण में दर्शाया गया है, जिसमें भगवान राम का वनवास, सीता हरण, लंका दहन और रावण वध शामिल हैं। रामायण के अनुसार, भगवान राम ने अपने वनवास के बाद अयोध्या में वापसी के बाद यहां एक विशाल राजमहल बनवाया।
BABARI MASZID निर्माण:
सन् 1528 में, मुघल सम्राट बाबर के सेनापति मीर बाकी ने आयोध्या में राम मंदिर के स्थान पर BABARI MASZID की नींव रखी। इसके बाद, राम मंदिर के स्थान पर मस्जिद का निर्माण हुआ और यह एक मुस्लिम श्रद्धा स्थल बन गया।
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राम जन्मभूमि आंदोलन:
1989 में, रामलला के पूजा स्थल के रूप में अयोध्या की बाबरी मस्जिद की भूमि में रात्रि पूजा आयोजित की गई और इसके बाद राम जन्मभूमि आंदोलन शुरू हुआ।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:
2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर के लिए भव्य निर्माण की अनुमति दी। कोर्ट ने भूमि का तात्कालिक विभाजन किया और मुस्लिम प्रतिष्ठान के लिए भूमि आलोकन की निर्देशिका जारी की।
RAM MANDIR के निर्माण का आरंभ: 2020 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए शिलान्यास किया। इसके बाद, अब राम मंदिर का निर्माण shuru.
Babari Maszid :
BABARI MASZID का इतिहास भारत के राजनीतिक, सामाजिक, और धार्मिक इतिहास का हिस्सा बना हुआ है। बाबरी मस्जिद की नींव 1528 में बाबर, मुघल सम्राट, के सेनापति मीर बाकी द्वारा रखी गई थी, जिसका परिणामस्वरूप आयोध्या के राम मंदिर की जगह पर एक मस्जिद का निर्माण हुआ। बाबरी मस्जिद का इतिहास भारतीय समाज में विवादित रूप से प्रस्तुत है, जिसने विभिन्न समूहों के बीच धार्मिक और सामाजिक विभाजन को उत्पन्न किया है।
- सन् 1528 – बाबर का आगमन: बाबर ने सन् 1526 में पानीपत की लड़ाई में इब्राहीम लोदी को हराकर भारत में मुघल साम्राज्य की नींव रखी। उनके सेनापति मीर बाकी ने सन् 1528 में आयोध्या में राम मंदिर के स्थान पर बाबरी मस्जिद की नींव रखी। इसके पीछे का कारण सामरिक था, लेकिन इसे धार्मिक भावनाओं का एक प्रतीक भी माना जाता है।
- बाबरी मस्जिद का इतिहास: बाबरी मस्जिद आयोध्या में स्थित थी और यह मुघल शैली में बनाई गई थी। इसका निर्माण कार्य सेनापति मीर बाकी द्वारा किया गया था और इसमें चार मीनारें, तीन गुंबदें, और एक संगमरमर की मीनार शामिल थीं। इसे बाबर की पोती सुलताना बेगम ने बनवाया था और इसे ‘मस्जिद-ए-बाबरी’ कहा गया।
- राम जन्मभूमि विवाद: बाबरी मस्जिद का विवाद उच्च स्थान पर धार्मिक और सामाजिक स्तरों पर उभरने लगा जब 1853 में भूमि पर बार-बारीकी के दौरान देवी सीता के पूजा स्थल के रूप में आदान-प्रदान शुरू हुआ।
- AYODHYA & BABARI MASZID मुद्दा: बाबरी मस्जिद का विवाद सबसे बड़ा हुआ जब 1989 में भूमि पूजा आयोजित की गई और इसके बाद समूचे विशेषत: 1990 में भूमि में रथयात्रा का आयोजन किया गया।
- बाबरी मस्जिद के विध्वंस – 1992: सन् 1992 में, कुछ कारणों के चलते, कर से जुड़े एक समूह ने बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया, जिससे भारत में भयंकर दंगे हुए और देश भर में उत्तेजना फैली। इसके पश्चात्ताप से सहारा लेते
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आयोध्या में स्थित RAM MANDIR का इतिहास हिंदी में जानने के लिए, हमें सन् 1528 में बाबर के समय से शुरू होकर 2020 में राम मंदिर के निर्माण के अद्भूत मोमेंट की ओर बढ़ना होगा। इस इतिहास की गहराईयों में, आपको आयोध्या के महत्वपूर्ण किंग, बाबर, रामलला और राम मंदिर के निर्माण के पीछे के घटनाओं का समर्पण देना होगा।
आयोध्या का इतिहास हिंदी साहित्य के अनुसार बहुत ही प्राचीन है। इस स्थान को वेदों में “कोशल” कहा गया है और इसे रामायण महाकाव्य के अनुसार भगवान राम के जन्मस्थान के रूप में जाना जाता है।
सन् 1528 में, मुघल सम्राट बाबर के सेनापति मीर बाकी BABARI MASZID की नींव रखी। इस स्थान के बारे में तीन सौ सालों के बाद, सन् 1528 में विश्वास के प्रमाण के रूप में एक अप्रमाणित कगजात प्राप्त हुआ था, जिसमें एक मंदिर के उपर से उतारे गए नामावली के स्वरूप विचार किए जा रहे थे। इसके बाद, इस स्थान पर BABARI MASZID बनी और यह एक मुस्लिम श्रद्धा स्थल बन गई।
समय के साथ, आयोध्या के रामलला का मामूल विश्राम स्थान अपने आत्मिक और सामाजिक महत्व के कारण मशहूर हो गया और यह धार्मिक भावनाओं का केंद्र बन गया।
1992 में, BABARI MASZID के विध्वंस के समय, एक तरफ आयोध्या में बड़े संख्याओं में लोग रामलला के मंदिर के निर्माण की मांग करने लगे। इसके परिणामस्वरूप, सन् 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय दिया और रामलला के मंदिर के लिए निर्माण की अनुमति दी।
आयोध्या में RAM MANDIR की कहानी का आधार रामायण महाकाव्य पर है, जिसे आदिकाव्य भी कहा जाता है। इसमें भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान की कई कड़ीयाँ हैं। रामायण महाकाव्य के अनुसार, भगवान राम ने आयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र के रूप में जन्म लिया था। राम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि, जिसे हिन्दी पंचांग में “राम नवमी” कहा जाता है, पर हुआ था।
राम मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू धार्मिक स्थल है जो आयोध्या, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। इसका निर्माण भगवान राम के जन्मस्थान के रूप में जाने जाने वाले स्थान पर किया जा रहा है। यह भगवान राम के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है। यहां कुछ महत्वपूर्ण जानकारी है:
- धारोहर: RAM MANDIR का निर्माण उपनिषदों, पुराणों, और रामायण महाकाव्य में वर्णित है। इसे भगवान राम के जन्मस्थान के रूप में माना जाता है।
- राम जन्मभूमि: राम मंदिर का स्थान राम जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है, जो रामायण के अनुसार भगवान राम के जन्म का स्थान है।
- BABARI MASZID: सन् 1528 में, मुघल सम्राट बाबर के सेनापति मीर बाकी ने आयोध्या में RAM MANDIR के स्थान पर BABARI MASZIDकी नींव रखी थी। इससे भूमि पर विवाद उत्पन्न हुआ जो दशकों तक चला।
- सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद के स्थान पर RAM MANDIR के निर्माण की अनुमति दी और एक विशेष पैनल को निर्देशित किया गया जो BABARI MASZID के निर्माण स्थान की भूमि का विवाद निर्णय करेगा।
- RAM MANDIR का निर्माण: 2020 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयोध्या में RAM MANDIR के निर्माण के लिए शिलान्यास किया। निर्माण का कार्य उदाहरणीय रूप से शुरू हो गया है और यह भव्य भवन के रूप में बन रहा है।
RAM MANDIR निर्माण का आयोजन भारतीय समाज में बड़ी धार्मिक और सांस्कृतिक घटना मानी जा रही है, जिससे लाखों भक्तों में आनंद और उत्साह की भावना है।
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